Sheikh Hasina Biography 2024: परिवार, आयु, शिक्षा, राजनीतिक करियर, पुत्र, पिता, कुल संपत्ति

Sheikh Hasina Biography 2024: परिवार, आयु, शिक्षा, राजनीतिक करियर, पुत्र, पिता, कुल संपत्ति और अन्य विवरण

शेख़ हसीना: बांग्लादेश की आयरन लेडी

eikh Hasina वाजेद बांग्लादेश की सबसे प्रमुख राजनीतिक हस्तियों में से एक हैं। वे बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री हैं और बांग्लादेश की राजनीति में एक मजबूत और प्रभावशाली भूमिका निभाती रही हैं। उनकी कहानी एक सशक्त नेतृत्व की है, जिसमें संघर्ष, विजय और निरंतरता का मेल हैं।

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Sheikh Hasina का जन्म 28 सितंबर 1947 को ग़ोपालगंज जिले के टुंगीपारा गांव में हुआ था। वे बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति, शेख़ मुजीबुर्रहमान और उनकी पत्नी शेख़ फज़िलतुन्नेसा मुजीब की सबसे बड़ी बेटी हैं। शेख़ मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे और उन्हें ‘बंगबंधु’ के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘बंगाल का मित्र’। शेख़ हसीना का परिवार एक समृद्ध और राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार था, जिससे उन्हें राजनीतिक सोच और दृष्टिकोण विरासत में मिला।

प्रारंभिक जीवन और परिवारिक पृष्ठभूमि

Sheikh Hasina का जन्म 28 सितंबर 1947 को ग़ोपालगंज जिले के टुंगीपारा गांव में हुआ था। वे बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति, शेख़ मुजीबुर्रहमान और उनकी पत्नी शेख़ फज़िलतुन्नेसा मुजीब की सबसे बड़ी बेटी हैं। शेख़ मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे और उन्हें ‘बंगबंधु’ के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘बंगाल का मित्र’। शेख़ हसीना का परिवार एक समृद्ध और राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार था, जिससे उन्हें राजनीतिक सोच और दृष्टिकोण विरासत में मिला।

Sheikh Hasina ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग़ोपालगंज के टोलेगांव मॉलिक हाई स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अपने शिक्षा के दौरान, उन्होंने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के समय अपने पिता के साथ राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की। उनकी शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि ने उन्हें एक मजबूत और जागरूक नेता के रूप में तैयार किया।

राजनीति में प्रवेश

Sheikh Hasina ने औपचारिक रूप से राजनीति में कदम तब रखा जब उनके पिता, शेख़ मुजीबुर्रहमान की 1975 में हत्या कर दी गई। उस समय वे अपने परिवार के साथ जर्मनी में निर्वासन में थीं। पिता की हत्या के बाद, उन्हें अपनी मातृभूमि लौटने की अनुमति नहीं मिली, जिसके चलते उन्हें कई वर्षों तक निर्वासन में रहना पड़ा। 1981 में, बांग्लादेश अवामी लीग ने उन्हें पार्टी का अध्यक्ष चुना और उनके नेतृत्व में पार्टी ने अपने पुनर्निर्माण की शुरुआत की।

1981 में, शेख़ हसीना बांग्लादेश लौटीं और अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। उन्होंने अवामी लीग को पुनः संगठित किया और 1986 के आम चुनाव में पहली बार संसद सदस्य चुनी गईं। हालांकि, उनकी राजनीतिक यात्रा आसान नहीं थी। उन्हें कई विरोधों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने नेतृत्व और संकल्प से सभी कठिनाइयों को पार किया।

प्रधानमंत्री बनने की यात्रा

Sheikh Hasina की राजनीति में सबसे बड़ी सफलता 1996 में आई जब वे पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश ने कई सामाजिक और आर्थिक सुधार किए। शिक्षा, स्वास्थ्य, और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके पहले कार्यकाल में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली और देश में स्थिरता आई।

हालांकि, 2001 के आम चुनाव में अवामी लीग को हार का सामना करना पड़ा, और शेख़ हसीना विपक्ष में बैठी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए निरंतर प्रयास करती रहीं। 2008 के आम चुनाव में अवामी लीग ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और शेख़ हसीना दूसरी बार प्रधानमंत्री बनीं। उनके इस कार्यकाल में बांग्लादेश ने और भी अधिक प्रगति की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की स्थिति मजबूत हुई।

विकास और सुधार

Sheikh Hasina के नेतृत्व में बांग्लादेश ने कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। उनकी सरकार ने ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया। उनके द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री की 10 विशेष पहलें, डिजिटल बांग्लादेश, और महिलाओं के लिए सूक्ष्म ऋण योजनाएं शामिल हैं।

शेख़ हसीना ने बांग्लादेश की ऊर्जा आपूर्ति में सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने जलविद्युत और सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विस्तार किया और देश के ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू कीं। इसके अलावा, उनकी सरकार ने सड़कों, पुलों, और बंदरगाहों की मरम्मत और नए निर्माण कार्यों को भी प्राथमिकता दी।

शेख हसीना पुरस्कार

वर्षपुरस्कार
1998अखिल भारतीय शांति परिषद द्वारा मदर टेरेसा पुरस्कार
1998ओस्लो, नॉर्वे के महात्मा एम.के. गांधी फाउंडेशन द्वारा एम.के. गांधी पुरस्कार
2000पर्ल एस. बक पुरस्कार
2014महिला सशक्तिकरण और बालिका शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए यूनेस्को शांति वृक्ष पुरस्कार
2009इंदिरा गांधी पुरस्कार
2015लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्तकर्ता
1999ढाका विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टर ऑफ लॉ की उपाधि

समाज सुधार और महिला सशक्तिकरण

Sheikh Hasina के नेतृत्व में, बांग्लादेश ने महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा दिया, और महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। उनके द्वारा शुरू की गई सूक्ष्म ऋण योजनाएं ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करने में सहायक रही हैं।

इसके अलावा, शेख़ हसीना ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए भी कई कदम उठाए। उनकी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाए और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाए। उन्होंने शिक्षा में लड़कियों के नामांकन को बढ़ावा दिया और सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू किया।

अंतरराष्ट्रीय संबंध और विदेश नीति

Sheikh Hasina की विदेश नीति ने बांग्लादेश को वैश्विक मंच पर एक मजबूत स्थिति में लाया है। उन्होंने बांग्लादेश के पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश की है, विशेषकर भारत और चीन के साथ। उनकी सरकार ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए SAARC (सार्क) और BIMSTEC (बिम्सटेक) जैसे मंचों में सक्रिय भूमिका निभाई है।

शेख़ हसीना ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी बांग्लादेश की स्थिति को सशक्त किया है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, शांति स्थापना, और महिला अधिकारों जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश का समर्थन प्राप्त किया है। उनकी सरकार ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और बांग्लादेश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग प्राप्त किया है।

चुनौतियाँ और विवाद

Sheikh Hasina के राजनीतिक जीवन में कई चुनौतियाँ और विवाद भी आए हैं। उनके कार्यकाल के दौरान विपक्षी दलों ने उन पर चुनावी धांधली के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा, उनकी सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगे हैं, विशेषकर राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ की गई कार्रवाईयों के मामले में।

उनकी सरकार पर न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के भी आरोप लगे हैं। इसके बावजूद, शेख़ हसीना ने अपने नेतृत्व में बांग्लादेश की प्रगति की दिशा को बनाए रखा है और देश में स्थिरता और विकास को प्राथमिकता दी है।

व्यक्तिगत जीवन

शेख़ हसीना का विवाह 1968 में डॉ. एम. ए. वाजेद मियां से हुआ था, जो एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। उनके दो बच्चे हैं – पुत्र सजीब वाजेद जॉय और पुत्री सायमी वाजेद। उनका पारिवारिक जीवन सरल और सादगीपूर्ण रहा है, और वे हमेशा अपने परिवार को प्राथमिकता देती रही हैं।

शेख़ हसीना की धार्मिक आस्था भी गहरी है। वे एक समर्पित मुस्लिम हैं और इस्लामी धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करती हैं। इसके अलावा, वे बांग्लादेश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और उसे प्रोत्साहित करने में भी विश्वास रखती हैं।

पुरस्कार और सम्मान

शेख़ हसीना को उनके नेतृत्व और सामाजिक सुधारों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्हें ‘मदर ऑफ ह्यूमैनिटी’ के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए अपने देश के दरवाजे खोल दिए थे। इसके अलावा, उन्हें संयुक्त राष्ट्र, UNESCO और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

उनकी नेतृत्व क्षमता और संघर्षशीलता ने उन्हें बांग्लादेश की राजनीति में एक अद्वितीय स्थान दिलाया है। वे न केवल बांग्लादेश की जनता के बीच बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी एक सम्मानित नेता मानी जाती हैं।

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