Vinesh Phogat ने कुश्ती से रिटायरमेंट लेने का फैसला कर लिया है. लेकिन वह अपने रिटायरमेंट से पहले कई ऐसे रिकॉर्ड भी बना गईं, जो ताउम्र कुश्ती खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए नजीर रहेंगे.
Vinesh Phogat का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के बलाली गांव में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित पहलवान परिवार से हैं, जिसमें उनके पिता, राजपाल फोगाट और चाचा, महावीर सिंह फोगाट जैसे अनुभवी पहलवान शामिल हैं। महावीर सिंह फोगाट कोच और प्रेरणा का स्रोत थे, जिन्होंने अपनी बेटियों और भतीजियों को कुश्ती के गुर सिखाए। विनेश के पिता की मृत्यु के बाद, उनके चाचा महावीर सिंह फोगाट ने उन्हें अपने बच्चों की तरह पाला और कुश्ती में प्रशिक्षित किया।
विनेश फोगाट की जीवनी: एक प्रेरणादायक सफर
Vinesh Phogat प्रारंभिक जीवन और परिवारिक पृष्ठभूमि
विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के बलाली गांव में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित पहलवान परिवार से हैं, जिसमें उनके पिता, राजपाल फोगाट और चाचा, महावीर सिंह फोगाट जैसे अनुभवी पहलवान शामिल हैं। महावीर सिंह फोगाट कोच और प्रेरणा का स्रोत थे, जिन्होंने अपनी बेटियों और भतीजियों को कुश्ती के गुर सिखाए। विनेश के पिता की मृत्यु के बाद, उनके चाचा महावीर सिंह फोगाट ने उन्हें अपने बच्चों की तरह पाला और कुश्ती में प्रशिक्षित किया।
विनेश की बहन, गीता फोगाट और बबीता फोगाट, भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की कुश्ती खिलाड़ी हैं, और उनकी उपलब्धियों ने विनेश को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार, विनेश का बचपन कुश्ती के दांव-पेंच सीखने और कड़ी मेहनत के माहौल में बीता।
Vinesh Phogat शिक्षा और प्रारंभिक प्रशिक्षण
विनेश फोगाट ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बलाली के एक सरकारी स्कूल से की। बचपन से ही उनका झुकाव खेलों की ओर था, विशेषकर कुश्ती की ओर। उनके चाचा महावीर सिंह फोगाट ने उन्हें और उनकी बहनों को कुश्ती के लिए प्रेरित किया और प्रशिक्षित किया। महावीर सिंह फोगाट ने लड़कियों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया, जो उस समय हरियाणा जैसे राज्य में एक क्रांतिकारी कदम था। उनके कठिन परिश्रम और समर्पण ने विनेश को एक मजबूत और आत्मविश्वासी पहलवान बनने में मदद की। Vinesh Phogat कुश्ती करियर की शुरुआत
विनेश फोगाट ने 2010 के दशक की शुरुआत में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। 2013 में, उन्होंने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत एक अंतरराष्ट्रीय पदक के साथ की, जब उन्होंने एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। यह सफलता उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और उन्होंने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरता सितारा
विनेश की असली पहचान 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में बनी, जब उन्होंने 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इस उपलब्धि ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत पहलवान के रूप में स्थापित कर दिया। इसके बाद, उन्होंने 2014 के एशियन गेम्स में भी कांस्य पदक जीता, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और भी बढ़ गई।
2016 रियो ओलंपिक और चोट
2016 के रियो ओलंपिक में विनेश फोगाट से देश को बहुत उम्मीदें थीं। उन्होंने शुरुआती दौर में बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन क्वार्टर फाइनल में उन्हें घुटने में गंभीर चोट लग गई। इस चोट ने उनके ओलंपिक सफर को बीच में ही रोक दिया और उन्हें मैदान से बाहर होना पड़ा। लेकिन विनेश ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी चोट से उबरने के लिए कड़ी मेहनत की और अपनी वापसी की योजना बनाई।
वापसी और नई चुनौतियाँ
2018 में, विनेश ने चोट से उबरकर एक बार फिर से अपने कुश्ती करियर में शानदार वापसी की। उन्होंने गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में 50 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, उन्होंने जकार्ता में आयोजित एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता। विनेश फोगाट एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं। यह उनके करियर का सबसे बड़ा क्षण था और उन्होंने इसे अपने अदम्य साहस और मेहनत से हासिल किया।
विश्व कुश्ती चैंपियनशिप और टोक्यो ओलंपिक
2019 में, विनेश ने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और इसके साथ ही 2020 के टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई किया। यह उनके करियर में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, क्योंकि उन्होंने न केवल अपनी चोट से उबरकर वापसी की थी, बल्कि खुद को दुनिया के शीर्ष पहलवानों में शामिल किया था।
टोक्यो ओलंपिक 2020 में, विनेश से देश को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश वे पदक जीतने में सफल नहीं हो पाईं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक के बाद अपनी हार को स्वीकार किया और भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करने का संकल्प लिया। विनेश ने यह साबित कर दिया कि असली खिलाड़ी वह होता है जो हार के बाद भी मैदान पर मजबूती से खड़ा हो सके।
वैयक्तिक जीवन और विचारधारा
विनेश फोगाट अपने परिवार और खासकर अपने चाचा महावीर सिंह फोगाट को अपनी सफलता का श्रेय देती हैं। उन्होंने हमेशा अपने जीवन में परिवार और अनुशासन को प्राथमिकता दी है। विनेश ने अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वे महिलाओं के सशक्तिकरण और खेल में लैंगिक समानता की पुरजोर समर्थक हैं। उन्होंने अपने गांव और देश की लड़कियों को यह संदेश दिया कि वे किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकती हैं, बशर्ते वे मेहनत और समर्पण के साथ अपने लक्ष्यों का पीछा करें।
सम्मान और पुरस्कार
विनेश फोगाट को उनके अद्वितीय योगदान और उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 2020 में भारत सरकार द्वारा ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ से सम्मानित किया गया, जो कि देश का सर्वोच्च खेल सम्मान है। इसके अलावा, उन्हें 2016 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से भी नवाजा गया। उनके ये पुरस्कार न केवल उनकी खेल प्रतिभा का प्रमाण हैं, बल्कि उनके अदम्य साहस और समर्पण का भी सम्मान हैं।
विनेश फोगाट का सामाजिक योगदान
विनेश फोगाट न केवल एक महान खिलाड़ी हैं, बल्कि एक समाजसेवी भी हैं। वे महिलाओं और लड़कियों को कुश्ती और अन्य खेलों में प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने कई मौकों पर लड़कियों को आत्मरक्षा और कुश्ती का प्रशिक्षण दिया है और उन्हें समाज में अपना स्थान बनाने के लिए प्रेरित किया है। विनेश ने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी के माध्यम से यह साबित किया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं।
वर्तमान में स्थिति और भविष्य की योजनाएँ
विनेश फोगाट वर्तमान में भी भारतीय कुश्ती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे आने वाले प्रतियोगिताओं के लिए कड़ी तैयारी कर रही हैं और देश के लिए और अधिक पदक जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विनेश की नजरें अब 2024 के पेरिस ओलंपिक पर हैं, जहां वे अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारने और देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य रख रही हैं। वे अपनी कठिनाइयों और अनुभवों से सीखते हुए लगातार अपने खेल को निखार रही हैं।