Nag Panchami 2024

Nag Panchami 2024 Date: साल 2024 में कब है नाग पंचमी, जानें डेट और पूजा का शुभ मुहूर्त

नाग पंचमी 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

परिचय

नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो नाग देवताओं की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे नागों की सुरक्षा, समृद्धि और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। इस लेख में हम साल 5 अगस्त,2024 सोमवार को मनाया जाएगा में नाग पंचमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Nag Panchami 2024 की तिथि

साल 2024 में नाग पंचमी का पर्व 5 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। यह तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है। नाग पंचमी का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन लोग नाग देवताओं की पूजा करते हैं।

Nag Panchami 2024 शुभ मुहूर्त

पुजा का शुभ मुहूर्त इस दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। शुभ मुहूर्त के अनुसार ही पूजा-अर्चना करने से अधिक फलदायी माना जाता है। साल 2024 में नाग पंचमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित होगा:

  • पूजा मुहूर्त: सुबह 05:53 बजे से सुबह 08:28 बजे तक
  • पंचमी तिथि प्रारंभ: 4 अगस्त 2024 को रात 11:59 बजे
  • पंचमी तिथि समाप्त: 5 अगस्त 2024 को रात 01:22 बजे
  • Nag Panchami 2024 Date: साल 2024 में कब है नाग पंचमी, जानें डेट और पूजा का शुभ मुहूर्त

नाग पंचमी का महत्व

नाग पंचमी का दिन हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन को नाग देवताओं की आराधना का विशेष दिन माना जाता है। हिन्दू धर्म में नागों को शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इस दिन की पूजा से विशेष रूप से सर्प दोष, काल सर्प दोष और अन्य संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है।

नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से महिलाएं नाग देवताओं की पूजा करती हैं और उनसे अपने परिवार की सुरक्षा और समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन सर्पों को दूध पिलाने और उन्हें प्रसन्न करने की परंपरा भी है।

नाग पंचमी की पूजा विधि

नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की पूजा विशेष विधि से की जाती है। इस पूजा की विधि निम्नलिखित है:

  1. स्नान और शुद्धिकरण: पूजा से पहले सुबह स्नान कर स्वयं को शुद्ध करें। पूजा स्थान को भी साफ करें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें।
  2. पूजा स्थान की तैयारी: पूजा के लिए एक साफ चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. कलश स्थापना: पूजा स्थान पर एक तांबे या पीतल के कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें। इसे कलश स्थापना कहा जाता है।
  4. धूप-दीप जलाना: पूजा की शुरुआत में धूप-दीप जलाएं और अपने घर को शुद्ध करें।
  5. नाग देवता की पूजा: नाग देवता की प्रतिमा या चित्र पर हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल और चंदन अर्पित करें। इसके बाद नाग देवता को दूध, घी और शहद चढ़ाएं।
  6. विशेष मंत्रों का जाप: नाग पंचमी के दिन विशेष मंत्रों का जाप करने से नाग देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन “ॐ नाग देवाय नमः” मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
  7. नैवेद्य अर्पण: नाग देवता को मीठा भोजन, लड्डू, फल और अन्य मिठाई अर्पित करें।
  8. आरती और प्रार्थना: पूजा के अंत में नाग देवता की आरती करें और उनसे अपने परिवार की सुरक्षा, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करें।
  9. सर्पों का सम्मान: इस दिन सर्पों को सम्मान देना महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग सर्पों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए उन्हें दूध पिलाते हैं और उनके लिए विशेष व्यवस्था करते हैं।

नाग पंचमी के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू

नाग पंचमी का पर्व हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन को विशेष रूप से किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। लोग अपने खेतों और घरों की सुरक्षा के लिए नाग देवता की पूजा करते हैं।

इसके अलावा, नाग पंचमी का पर्व भारतीय संस्कृति और साहित्य में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में नागों की महिमा और उनकी पूजा का उल्लेख किया गया है। इस दिन को नागों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन माना जाता है।

नाग पंचमी की कथाएँ

नाग पंचमी के दिन कई धार्मिक कथाओं का भी उल्लेख किया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख कथाएँ इस प्रकार हैं:

  1. समुद्र मंथन: हिन्दू धर्म की प्राचीन कथा अनुसार, समुद्र मंथन के समय नागों का महत्वपूर्ण योगदान था। वासुकि नाग ने मंथन के दौरान रस्सी का काम किया था, जिससे अमृत निकला।
  2. भगवान कृष्ण और कालिया नाग: भगवान कृष्ण और कालिया नाग की कथा भी नाग पंचमी से जुड़ी हुई है। इस कथा में भगवान कृष्ण ने यमुना नदी में कालिया नाग का वध किया और उन्हें शांत किया।
  3. शेषनाग की कथा: शेषनाग भगवान विष्णु के शय्या के रूप में माने जाते हैं। यह कहा जाता है कि शेषनाग ने धरती को अपने फणों पर धारण किया हुआ है।

नाग पंचमी का सामाजिक महत्व

नाग पंचमी का पर्व सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण और जीवों के प्रति प्रेम का संदेश देता है। इस दिन सर्पों की पूजा और उन्हें दूध पिलाने की परंपरा लोगों को जीवों के प्रति दया और प्रेम का संदेश देती है।

इसके अलावा, नाग पंचमी का पर्व भारतीय समाज में एकता और सद्भाव का प्रतीक भी है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर पूजा करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।

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