सचिन तेंदुलकर (जन्म 24 अप्रैल, 1973, बॉम्बे [मुंबई], भारत) एक भारतीय पेशेवर क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जिन्हें कई लोग अब तक के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक मानते हैं। 2012 में वे अंतरराष्ट्रीय खेल में 100 शतक (एक पारी में 100 रन) बनाने वाले पहले क्रिकेटर बने। वे भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले खिलाड़ी हैं।
सचिन तेंदुलकर की जीवनी (Sachin Tendulkar Biography): : प्रारंभिक जीवन, क्रिकेट यात्रा, पुरस्कार, रिकॉर्ड,
प्रारंभिक जीवन और परिवार
सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता, रमेश तेंदुलकर, एक मराठी उपन्यासकार और कवि थे, जबकि उनकी माँ, रजनी तेंदुलकर, एक बीमा कंपनी में काम करती थीं। सचिन के पिता ने उनका नाम प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था, जो रमेश तेंदुलकर के पसंदीदा गायक थे।
सचिन के तीन भाई-बहन हैं – एक भाई नितिन और दो बहनें, सविता और अजीता। बचपन से ही सचिन का ध्यान खेलों की ओर था, लेकिन उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने उन्हें क्रिकेट के प्रति प्रोत्साहित किया। अजीत ने सचिन को क्रिकेट की बारीकियाँ सिखाने के लिए प्रसिद्ध कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले जाने का निर्णय लिया।
सचिन तेंदुलकर का जन्म और फैमिली (Sachin Tendulkar Birth and Family):
सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई के दादर में एक सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता रमेश तेंदुलकर, एक मराठी कवि और उपन्यासकार थे. उन्होंने सचिन का नाम अपने चहेते संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था. उनकी मां रजनी तेंदुलकर बीमा कंपनी में काम करती थीं. सचिन चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. उनके दो बड़े भाई नितिन और अजीत तेंदुलकर है. उनकी बहन का नाम सविता तेंदुलकर है. सचिन के बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने ही उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया था. 24 मई, 1995 को सचिन ने डॉ. अंजलि महेता से शादी की थी. सचिन और अंजलि के दो बच्चें है. उनकी बड़ी बेटी सारा तेंदुलकर और बेटा अर्जुन तेंदुलकर है, जो एक क्रिकेटर है.
सचिन तेंदुलकर क्रिकेट की शुरुआत
सचिन तेंदुलकर ने अपनी स्कूली शिक्षा शारदाश्रम विद्या मंदिर से की, जहां उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया। उन्होंने पहली बार 1988 में ध्यान आकर्षित किया जब उन्होंने अपने दोस्त और साथी खिलाड़ी विनोद कांबली के साथ मिलकर 664 रन की साझेदारी की। यह प्रदर्शन इतना प्रभावशाली था कि उन्होंने जल्दी ही घरेलू क्रिकेट में अपनी जगह बना ली।
सचिन की प्रतिभा को देखकर, कोच रमाकांत आचरेकर ने उन्हें गंभीरता से क्रिकेट को अपनाने के लिए प्रेरित किया। सचिन ने कड़ी मेहनत की और जल्द ही वे भारतीय क्रिकेट में एक उभरते हुए सितारे बन गए। उन्होंने मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी में खेलते हुए 1988-89 में अपने करियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने अपने पहले ही मैच में शतक बनाया।
सचिन तेंदुलकरअंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत
सचिन तेंदुलकर ने 15 नवंबर 1989 को 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में अपना पहला टेस्ट मैच खेला। उनके सामने तेज गेंदबाज वसीम अकरम और वकार यूनिस थे, जो अपने समय के खतरनाक गेंदबाजों में से एक थे। हालांकि सचिन ने उस मैच में केवल 15 रन बनाए, लेकिन उनकी बल्लेबाजी में आत्मविश्वास और तकनीक ने सभी का ध्यान खींचा।
इसके बाद, सचिन ने 18 दिसंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ ही एकदिवसीय क्रिकेट में भी पदार्पण किया। उन्होंने अपने शुरुआती करियर में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सचिन की मेहनत और समर्पण ने उन्हें भारतीय क्रिकेट का स्तंभ बना दिया।
सचिन का स्वर्णिम युग
1990 के दशक में सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट की दुनिया में अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया। 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक बनाया। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पारियाँ खेलीं, जिससे भारत को कई मैच जीतने में मदद मिली।
1996 का विश्व कप सचिन के करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने उस टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाए और भारत को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस विश्व कप के बाद सचिन तेंदुलकर को भारतीय क्रिकेट का ‘मास्टर ब्लास्टर’ कहा जाने लगा।
कप्तानी का दौर
सचिन तेंदुलकर को 1996 में भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया। हालांकि, उनकी कप्तानी का दौर सफल नहीं रहा। टीम को लगातार हार का सामना करना पड़ा, जिससे सचिन पर काफी दबाव आ गया। अंततः 1997 में उन्होंने कप्तानी छोड़ दी, लेकिन उनका प्रदर्शन बतौर बल्लेबाज लगातार अच्छा रहा।
इसके बाद 1999 में उन्हें फिर से कप्तान बनाया गया, लेकिन इस बार भी परिणाम सकारात्मक नहीं रहे। कप्तानी छोड़ने के बाद सचिन ने पूरी तरह से अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे उनके करियर में और भी शानदार प्रदर्शन देखने को मिले।
क्रिकेट में अभूतपूर्व उपलब्धियाँ
सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में कई कीर्तिमान स्थापित किए। वे टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट में 100 शतकों का रिकॉर्ड बनाने वाले पहले और एकमात्र बल्लेबाज हैं। उन्होंने 200 टेस्ट मैच खेले और 15,921 रन बनाए, जो अब तक का सर्वोच्च है। इसके अलावा, उन्होंने एकदिवसीय क्रिकेट में 18,426 रन बनाए, जो भी एक रिकॉर्ड है।
सचिन तेंदुलकर ने 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एकदिवसीय क्रिकेट में पहला दोहरा शतक बनाया, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। इसके बाद उन्होंने कई और रिकॉर्ड बनाए और अपने करियर को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया।
2011 विश्व कप
सचिन तेंदुलकर के करियर का सबसे बड़ा सपना 2011 में पूरा हुआ जब भारत ने विश्व कप जीता। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और भारत को फाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत ने श्रीलंका को हराकर विश्व कप जीता। सचिन तेंदुलकर ने इस विश्व कप जीत को अपने करियर का सबसे बड़ा पल बताया।
संन्यास
16 नवंबर 2013 को सचिन तेंदुलकर ने वानखेड़े स्टेडियम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला और क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उनके संन्यास के बाद भारत सरकार ने उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। सचिन तेंदुलकर इस सम्मान को पाने वाले पहले खिलाड़ी बने।
व्यक्तिगत जीवन
सचिन तेंदुलकर का विवाह 1995 में अंजलि तेंदुलकर से हुआ, जो एक डॉक्टर हैं। उनके दो बच्चे हैं, बेटी सारा और बेटा अर्जुन। अर्जुन भी क्रिकेट में रुचि रखते हैं और एक उभरते हुए खिलाड़ी हैं।
सचिन तेंदुलकर का परिवार उनके करियर में हमेशा उनके साथ खड़ा रहा। सचिन ने अपने पिता को अपना सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत माना और कहा कि उनके पिता के आशीर्वाद के बिना वे इस मुकाम तक नहीं पहुंच सकते थे।
सचिन तेंदुलकर की विरासत
सचिन तेंदुलकर न केवल एक महान खिलाड़ी हैं, बल्कि एक आदर्श व्यक्तित्व भी हैं। उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में जो योगदान दिया है, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। सचिन तेंदुलकर की सरलता, मेहनत और समर्पण ने उन्हें करोड़ों लोगों का आदर्श बना दिया है।
उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। सचिन तेंदुलकर का नाम भारतीय क्रिकेट इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। वे आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं और उनके द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड्स को तोड़ना किसी भी खिलाड़ी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।