Sabse Jyada kis Dharm Ko Chhod rahe hai log 2024

Sabse Jyada kis Dharm Ko Chhod rahe hai log 2024

ईसाई धर्म को छोड़कर भी कई लोग दूसरे धर्मों में शामिल हो रहे हैं. हालांकि, दुनिया में सबसे ज़्यादा लोग ईसाई धर्म को ही मानते हैं. 

Table of Contents

दुनिया में सबसे ज़्यादा लोग इस्लाम Dharm को छोड़ रहे हैं. साल 2019 में प्यू रिसर्च सेंटर ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक अमेरिका में मुस्लिम परिवारों में पले-बढ़े करीब 23 फ़ीसदी युवाओं ने इस्लाम को नहीं अपनाया. इसके अलावा, जर्मनी के अखबार डाई वेल्ट की साल 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल जर्मनी में करीब 15-20 हज़ार लोग इस्लाम छोड़ रहे हैं।


कौन से धर्म को सबसे अधिक लोग छोड़ रहे हैं: कारण, आंकड़े और प्रभाव

Dharm का मुद्दा हमेशा से ही समाज में एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। एक समय था जब धर्म लोगों की पहचान और अस्तित्व का केंद्र हुआ करता था। लेकिन समय के साथ-साथ धर्म के प्रति लोगों की धारणाओं में बदलाव आया है। आज, वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, कई लोग अपने जन्मजात धर्म को छोड़ रहे हैं, चाहे वह किसी विशेष धर्म से हो। तो आइए विस्तार से समझते हैं कि कौन से धर्म को सबसे ज्यादा लोग छोड़ रहे हैं, इसके पीछे के कारण और इसके समाज पर पड़ने वाले प्रभाव।

1. Dharm से विमुख होने की वैश्विक प्रवृत्ति:

विश्व भर में धर्म से विमुख होने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह केवल एक देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। विकासशील देशों से लेकर विकसित देशों तक, धर्म के प्रति लोगों के रुझान में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। विशेष रूप से पश्चिमी देशों में इस प्रवृत्ति का ज्यादा प्रभाव देखा गया है। अमेरिका और यूरोप जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लोग ईसाई धर्म को छोड़कर नास्तिकता या अज्ञेयवाद की ओर जा रहे हैं।

2. क्यों लोग धर्म छोड़ रहे हैं: प्रमुख कारण

धर्म को छोड़ने के पीछे कई कारण होते हैं, जो समाज, संस्कृति, शिक्षा और व्यक्तिगत विचारधारा से जुड़े होते हैं। नीचे कुछ प्रमुख कारण दिए जा रहे हैं:

(i) वैज्ञानिक सोच और शिक्षा:

जैसे-जैसे शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है, लोग वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तर्कसंगत विचारधारा को अपनाने लगे हैं। धर्म के पुराने सिद्धांतों और आस्थाओं में कई बार वैज्ञानिक आधार की कमी होती है, जो उच्च शिक्षित और तर्कशील लोगों को धर्म से दूर कर देती है। उदाहरण के तौर पर, ईसाई धर्म में बाइबल की कथाएं और घटनाओं को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं किया जा सकता, जिसके कारण कुछ लोग इन आस्थाओं को छोड़ देते हैं।

(ii) धार्मिक आस्थाओं से मतभेद:

कई लोग अपने धर्म की आस्थाओं से असहमति के कारण उसे छोड़ देते हैं। कुछ धर्मों में समलैंगिकता, नारी अधिकार, और स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर पुराने विचारधारा को मान्यता दी जाती है, जो आधुनिक समाज के साथ मेल नहीं खाती। इसके चलते विशेष रूप से युवा वर्ग धर्म को छोड़ देता है।

(iii) धार्मिक संस्थाओं में भ्रष्टाचार:

कई बार धर्म से जुड़े संस्थानों में भ्रष्टाचार, नैतिक पतन और अन्य आपराधिक गतिविधियों का खुलासा होने के बाद लोग उस धर्म से दूर होने लगते हैं। उदाहरण के लिए, कैथोलिक चर्च में यौन शोषण के मामलों ने कई लोगों को ईसाई धर्म छोड़ने पर मजबूर किया है।

(iv) सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन:

आधुनिक समाज में धर्म की भूमिका धीरे-धीरे कम होती जा रही है। लोग अपनी पहचान को धर्म से ज्यादा व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के आधार पर परिभाषित करने लगे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि लोग अब धर्म की कठोर मान्यताओं से बाहर निकलना चाहते हैं।

(v) विवाह और रिश्तों का प्रभाव:

कई लोग धर्म छोड़ने का निर्णय अंतरधार्मिक विवाहों और रिश्तों के कारण लेते हैं। जब दो अलग-अलग धर्मों के लोग विवाह करते हैं, तो वे एक साझा या नास्तिक दृष्टिकोण को अपनाने का निर्णय ले सकते हैं।

3. सबसे ज्यादा लोग किस धर्म को छोड़ रहे हैं?

कई अध्ययनों और सर्वेक्षणों के अनुसार, निम्नलिखित धर्मों को सबसे अधिक लोग छोड़ रहे हैं:

(i) ईसाई धर्म:

विश्व स्तर पर ईसाई धर्म को छोड़ने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। खासकर पश्चिमी देशों में लोग तेजी से ईसाई धर्म छोड़ रहे हैं और नास्तिकता या अज्ञेयवाद को अपना रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार, यूरोप और अमेरिका में ईसाई धर्म छोड़ने वालों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

(ii) इस्लाम:

हालांकि इस्लाम दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते धर्मों में से एक है, लेकिन कुछ पश्चिमी देशों में मुस्लिम समुदाय के लोग भी अपने धर्म को छोड़ रहे हैं। धर्म से विमुख होने की यह प्रवृत्ति विशेष रूप से उन लोगों में देखी गई है जो इस्लाम को अत्यधिक कठोर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ मानते हैं। इसके साथ ही, इस्लामी देशों में भी, जहां धर्म का बड़ा प्रभाव है, छिपे तौर पर कुछ लोग अपने धर्म से दूर हो रहे हैं।

(iii) हिंदू धर्म:

भारत में भी, हाल के वर्षों में हिंदू धर्म छोड़कर अन्य धर्मों या नास्तिकता को अपनाने वालों की संख्या बढ़ रही है। यह प्रवृत्ति खासकर युवा वर्ग में देखी जा रही है, जो धर्म की पारंपरिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों से असंतुष्ट हैं। इसके अलावा, कुछ लोग सामाजिक कारणों से धर्मांतरण का रास्ता भी चुन रहे हैं।

(iv) बौद्ध धर्म:

हालांकि बौद्ध धर्म को आमतौर पर शांतिपूर्ण और सहिष्णु माना जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे छोड़कर अन्य धर्मों या विचारधाराओं की ओर बढ़ रहे हैं। खासकर एशियाई देशों में लोग इसे छोड़ रहे हैं, जहां धार्मिक स्वतंत्रता बढ़ रही है।

4. धर्म छोड़ने के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

जब लोग किसी धर्म को छोड़ते हैं, तो इसका समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे न केवल उनकी व्यक्तिगत जीवन शैली में बदलाव आता है, बल्कि उनके परिवार, समुदाय और समाज पर भी असर पड़ता है।

(i) परिवारिक तनाव:

कई बार, जब कोई व्यक्ति धर्म छोड़ता है, तो यह परिवार के अन्य सदस्यों के लिए अस्वीकार्य हो सकता है, जिससे पारिवारिक तनाव और विवाद उत्पन्न होते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से विभाजन कई बार रिश्तों में दूरी भी ला सकता है।

(ii) सामाजिक अस्वीकार्यता:

धार्मिक समाजों में धर्म को छोड़ना एक तरह से सामाजिक अस्वीकार्यता का कारण बन सकता है। कुछ देशों में, धर्म छोड़ने वालों को समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है।

(iii) नए धर्मों का उदय:

जब लोग पुराने धर्मों को छोड़ते हैं, तो कई बार नए धर्मों या विचारधाराओं का उदय होता है। कई लोग नास्तिकता, अज्ञेयवाद, या मानवतावाद को अपनाते हैं, जिससे एक नई विचारधारा का जन्म होता है।

(iv) सांस्कृतिक परिवर्तन:

धर्म छोड़ने से सांस्कृतिक परिवर्तन भी देखने को मिलता है। जैसे-जैसे लोग धर्म से दूर होते हैं, उनके त्यौहार, रीति-रिवाज, और परंपराएं भी बदलती हैं। यह समाज में एक नए प्रकार के सांस्कृतिक ढांचे का निर्माण करता है।

5. धर्म छोड़ने के बाद की चुनौतियां और अवसर

धर्म छोड़ने के बाद लोग कई चुनौतियों का सामना करते हैं, जैसे सामाजिक अस्वीकार्यता, पहचान का संकट, और मानसिक तनाव। हालांकि, यह उनके लिए आत्मविकास और स्वतंत्रता का भी एक अवसर हो सकता है। धर्म छोड़ने वाले लोग अपने जीवन को नए सिरे से परिभाषित करने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

10. धर्म छोड़ने के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

धर्म छोड़ने की प्रवृत्ति का असर न केवल व्यक्ति के जीवन पर, बल्कि समाज और संस्कृति पर भी गहरा पड़ता है। धार्मिक मान्यताएँ और परंपराएँ अक्सर समाज के ताने-बाने का हिस्सा होती हैं, और जब लोग धर्म छोड़ते हैं, तो इससे सामाजिक संतुलन और सामूहिक पहचान पर असर हो सकता है। आइए देखें कि इस प्रवृत्ति का समाज और संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

(i) सामाजिक संरचनाओं में परिवर्तन:

धर्म छोड़ने से पारंपरिक सामाजिक ढाँचों में बदलाव आने लगता है। कई समाजों में धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है, और इससे जुड़ी संस्थाएँ जैसे कि धार्मिक संगठन, मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि सामाजिक समर्थन और एकजुटता के केंद्र होते हैं। जब लोग धर्म से विमुख होते हैं, तो ये संस्थाएँ कमजोर हो सकती हैं और समाज में एक नई प्रकार की सामाजिक संरचना का उदय हो सकता है, जो अधिक उदार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर आधारित हो।

(ii) धार्मिक नेताओं की भूमिका में कमी:

धर्म छोड़ने की प्रवृत्ति का एक और बड़ा असर धार्मिक नेताओं की समाज में भूमिका पर पड़ता है। जब लोग संगठित धर्म से अलग होते हैं, तो धार्मिक नेताओं की समाज में प्रभावशीलता कम हो जाती है। इसका असर न केवल धार्मिक मामलों पर पड़ता है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक निर्णयों में भी देखा जा सकता है। धार्मिक नेताओं के कमजोर होने से समाज में शक्ति का संतुलन बदल सकता है।

(iii) सांस्कृतिक मान्यताओं और परंपराओं में बदलाव:

धर्म और संस्कृति का गहरा संबंध होता है, और जब लोग धर्म छोड़ते हैं, तो सांस्कृतिक मान्यताओं और परंपराओं में भी बदलाव आने लगता है। पारंपरिक त्यौहार, रीति-रिवाज, और धार्मिक आयोजन कम महत्वपूर्ण हो सकते हैं या नए रूपों में बदल सकते हैं। इससे नई सांस्कृतिक पहचान और परंपराएँ उभर सकती हैं, जो अधिक समावेशी और विविधतापूर्ण हो सकती हैं।

11. धर्म छोड़ने का व्यक्तिगत और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

धर्म छोड़ने का व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन पर भी गहरा असर पड़ता है। यह प्रक्रिया कई बार कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकती है, और व्यक्ति को भावनात्मक रूप से कमजोर कर सकती है। हालांकि, सही समर्थन और मार्गदर्शन से यह एक सकारात्मक अनुभव भी बन सकता है।

(i) आत्म-संदेह और पहचान का संकट:

धर्म छोड़ने के बाद व्यक्ति को अपनी पहचान को पुनः परिभाषित करने की जरूरत होती है। यह एक गहरे आत्म-संदेह और पहचान के संकट का कारण बन सकता है। व्यक्ति को यह समझने में कठिनाई हो सकती है कि अब उसकी पहचान क्या है और उसका जीवन का उद्देश्य क्या होगा।

(ii) परिवार और दोस्तों से दूरी:

धर्म छोड़ने के कारण कई बार परिवार और दोस्तों से दूरी बढ़ जाती है, खासकर उन समाजों में जहाँ धार्मिक पहचान बहुत मजबूत होती है। इससे व्यक्ति अकेलापन महसूस कर सकता है और उसे सामाजिक समर्थन की कमी हो सकती है। यह स्थिति मानसिक तनाव और अवसाद का कारण बन सकती है।

(iii) मानसिक स्वतंत्रता और आत्म-संतोष:

हालांकि, धर्म छोड़ने से कई लोगों को मानसिक स्वतंत्रता और आत्म-संतोष भी मिलता है। वे अपने जीवन में निर्णय लेने की स्वतंत्रता महसूस करते हैं और अपने विचारों और मूल्यों को खुद से चुनते हैं। इससे आत्म-स्वीकृति और व्यक्तिगत विकास की भावना बढ़ती है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है।

12. धर्म छोड़ने से जुड़ी चुनौतियाँ और अवसर

धर्म छोड़ने की प्रक्रिया चुनौतियों से भरी हो सकती है, लेकिन इसके साथ ही यह नए अवसरों का भी मार्ग खोलती है। यह व्यक्ति को अपनी आस्था और विचारधारा पर पुनर्विचार करने का अवसर देता है और नए जीवन दृष्टिकोणों को अपनाने का मौका प्रदान करता है।

(i) सामाजिक दबाव और भेदभाव:

धर्म छोड़ने वाले लोग अक्सर सामाजिक दबाव और भेदभाव का सामना करते हैं, खासकर उन समाजों में जहाँ धर्म एक मजबूत सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा होता है। कई बार उन्हें अपने परिवार, दोस्तों, और समुदाय से विरोध का सामना करना पड़ता है, जिससे उन्हें मानसिक और भावनात्मक कष्ट हो सकता है।

(ii) नई विचारधाराओं को अपनाने का अवसर:

धर्म छोड़ने के बाद, व्यक्ति के पास नए विचारधाराओं को अपनाने का अवसर होता है। वे अपनी आस्था और विश्वास को स्वतंत्र रूप से चुन सकते हैं और उन विचारधाराओं को अपना सकते हैं जो उन्हें अधिक तार्किक और समझदारी भरी लगती हैं। यह उन्हें जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने का मौका देता है और उनके व्यक्तिगत विकास में योगदान कर सकता है।

(iii) समाज में बदलाव लाने का मौका:

धर्म छोड़ने वाले लोग समाज में बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हो सकते हैं। वे अपने नए विचारों और मान्यताओं के साथ समाज में अधिक सहिष्णुता, स्वतंत्रता, और प्रगतिशीलता का संदेश फैला सकते हैं। इससे सामाजिक संरचनाओं में सुधार हो सकता है और एक अधिक समावेशी और विविधतापूर्ण समाज का निर्माण हो सकता है।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *