भारतीय संविधान एक ऐसा दस्तावेज़ है जो भारत के शासन के ढांचे को परिभाषित करता है। यह दस्तावेज़ न केवल सरकार के विभिन्न अंगों के कार्य और शक्तियों को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट करता है। भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इस दिन को भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान अपने आप में एक अद्वितीय दस्तावेज़ है, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की आधारशिला है।
भारतीय संविधान का इतिहास
भारतीय संविधान का निर्माण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शुरू हुआ। 1934 में, एम.एन. रॉय ने संविधान सभा की स्थापना का विचार प्रस्तुत किया। इसके बाद 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ। इस सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे और इसके प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। संविधान सभा ने लगभग तीन साल (1946-1949) में संविधान का मसौदा तैयार किया।
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संविधान की प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावना इसकी आत्मा मानी जाती है। इसमें संविधान के मूल सिद्धांतों और उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है। प्रस्तावना में कहा गया है:
“हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय; विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता; प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए; तथा उनमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए; दृढ़ संकल्प होकर इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”
गूगल के जरिए घर बैठे कमाएं लाखों 2024संविधान के प्रमुख तत्व
भारतीय संविधान विभिन्न तत्वों और प्रावधानों से मिलकर बना है, जो निम्नलिखित हैं:
1. मौलिक अधिकार
मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों को दी गई कुछ अपरिहार्य स्वतंत्रताएं हैं। इन्हें संविधान के भाग III में सूचीबद्ध किया गया है। मौलिक अधिकार निम्नलिखित हैं:
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
2. मौलिक कर्तव्य
मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था। ये संविधान के भाग IV-A में वर्णित हैं और अनुच्छेद 51A में सूचीबद्ध हैं। ये कर्तव्य नागरिकों को अपने राष्ट्र और समाज के प्रति जिम्मेदारियों की याद दिलाते हैं।
3. राज्य की नीति के निदेशक तत्व
राज्य की नीति के निदेशक तत्व संविधान के भाग IV में शामिल हैं। ये तत्व राज्य को विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को अपनाने में मार्गदर्शन करते हैं, ताकि एक समतामूलक समाज का निर्माण किया जा सके।
भारतीय संघीय प्रणाली
भारतीय संविधान एक संघीय ढांचे को अपनाता है, जिसमें शक्ति का विभाजन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच किया गया है। संविधान के सातवीं अनुसूची में तीन सूचियाँ हैं:
- संघ सूची (Union List)
- राज्य सूची (State List)
- समवर्ती सूची (Concurrent List)
संविधान का संशोधन
भारतीय संविधान में संशोधन का प्रावधान है, ताकि इसे समय के साथ बदलती परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सके। अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
संविधान के प्रमुख संस्थान
संविधान विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना करता है, जो निम्नलिखित हैं:
1. संसद
संसद भारत की सर्वोच्च विधायिका है, जो दो सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – से मिलकर बनी है। लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं, जबकि राज्यसभा के सदस्य राज्यों और संघशासित प्रदेशों के विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं।
2. राष्ट्रपति
राष्ट्रपति भारतीय राज्य का प्रमुख होता है और संविधान के अनुसार उसे कई कार्यकारी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।
3. प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद
प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद कार्यकारी शाखा का नेतृत्व करते हैं। प्रधानमंत्री का चयन राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के बहुमत दल के नेता के रूप में किया जाता है।
4. न्यायपालिका
न्यायपालिका संविधान की संरक्षक होती है। यह न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष है। सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख अंग हैं।
संविधान की विशेषताएँ
भारतीय संविधान की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. लिखित और विस्तृत संविधान
भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ और कई परिशिष्ट शामिल हैं।
2. कठोर और लचीला
भारतीय संविधान संशोधन की दृष्टि से कठोर और लचीला दोनों है। कुछ प्रावधानों को संशोधित करने के लिए संसद में साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है, जबकि कुछ अन्य प्रावधानों के लिए विशेष बहुमत और राज्य विधानसभाओं की सहमति आवश्यक होती है।
3. धर्मनिरपेक्षता
भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता को अपनाता है। यह सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखता है और किसी भी धर्म के प्रति पक्षपात नहीं करता।
4. लोकतंत्र
भारतीय संविधान लोकतंत्र को अपनाता है, जहाँ जनता सर्वोच्च होती है और सरकार जनता द्वारा, जनता के लिए और जनता के माध्यम से चुनी जाती है।
5. न्यायिक पुनरावलोकन
भारतीय न्यायपालिका को न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार है, जिसके तहत वह किसी भी कानून या सरकारी आदेश की संवैधानिकता की जांच कर सकती है।
निष्कर्ष
Essence of constitutional democracy
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भारतीय संविधान न केवल भारत के शासन के ढांचे को निर्धारित करता है, बल्कि यह भारतीय समाज के मूल्यों और आदर्शों को भी परिलक्षित करता है। यह एक