Child Porn देखना और डाउनलोड करना अपराध है
madraas haeekort- phon mein chaild porn daunalod karana aparaadh nahin keral haeekort kee is tippanee ko aadhaar bataate hue madraas haeekort ne 11 janavaree 2024 ko pokso ekt ke ek aaropee ke khilaaph kes ko radd kar diya tha. madraas haeekort ne kaha tha ki apanee divais par aisa kantent dekhana ya daunalod karana aparaadh ke daayare mein nahin aata hai.
सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अब चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना और देखना भी पॉस्को (POCSO) के तहत अपराध माना जाएगा. इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री लाने के लिए अध्यादेश जारी करने का भी अनुरोध किया और साथ ही सभी हाई कोर्ट से बाल पोर्नोग्राफी शब्द का उपयोग न करने के लिए भी कहा है.
चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी डाउनलोड करना भी अपराध
मद्रास हाई कोर्ट ने इसी आधार पर अपने मोबाइल फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट रखने के एक आरोपी के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर मामले को फिर से सेशन कोर्ट भेजा है. बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. किसी व्यक्ति द्वारा चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी डाउनलोड करना या देखना पॉस्को और IT अधिनियम के तहत अब अपराध है. 19 अप्रैल को मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि केवल किसी के व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी डाउनलोड करना या उसे देखना कोई अपराध नहीं है. पॉस्को अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी मे नहीं आता. मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एनजीओ जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की थी.