Sawan Shivratri 2024: सावन शिवरात्रि को लेकन न हो कन्फ्यूज, नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त

Sawan Shivratri 2024: सावन शिवरात्रि को लेकन न हो कन्फ्यूज, नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त

वर्ष 2024 में श्रावण शिवरात्रि का पर्व 6 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व हर वर्ष श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता हैं चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 5 अगस्त 2024, रात्रि 9:30 बजे से

तिथि समाप्त: 6 अगस्त 2024, रात्रि 7:00 बजे तकश्रावण शिवरात्रि 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

श्रावण शिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह पर्व विशेषकर श्रावण मास में आता है, जो भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रात्रि जागरण करते हैं। इस लेख में हम 2024 में श्रावण शिवरात्रि की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

Sawan Shivratri 2024:की तिथि

वर्ष 2024 में श्रावण शिवरात्रि का पर्व 6 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व हर वर्ष श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

शुभ मुहूर्त

श्रावण शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:

  • चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 5 अगस्त 2024, रात्रि 9:30 बजे से
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 6 अगस्त 2024, रात्रि 7:00 बजे तक

शिव पूजा के लिए रात का समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन शिवलिंग पर विशेष पूजन और अभिषेक किए जाते हैं।

Sawan Shivratri 2024: का महत्व

  1. भगवान शिव की पूजा: श्रावण शिवरात्रि को भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, ताकि भक्त उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकें।
  2. रात्रि जागरण: इस दिन रात्रि भर जागरण करने का विशेष महत्व है। भक्तजन भगवान शिव के भजन-कीर्तन करते हैं और उनकी महिमा का गान करते हैं।
  3. व्रत और उपवास: शिवभक्त इस दिन उपवास रखते हैं और फलाहार करते हैं। यह उपवास भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है और इसे बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है।
  4. मंत्र जाप: इस दिन “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व है। यह मंत्र भगवान शिव के सबसे प्रमुख मंत्रों में से एक है और इसे जपने से भक्तों को शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: इस दिन प्रातःकाल में स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करें, अन्यथा किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें।
  2. शिवलिंग की पूजा:
  • शिवलिंग को शुद्ध जल, दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराएं।
  • बेलपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, चंदन, चावल और फूल अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
  • भगवान शिव के नाम का जप करें, विशेष रूप से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
  1. रात्रि जागरण: रात भर जागरण करें और भगवान शिव के भजन-कीर्तन करें। शिव पुराण या अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
  2. भस्म आरती: शिवलिंग पर भस्म चढ़ाएं और आरती करें। भस्म भगवान शिव के प्रिय माने जाते हैं और इसे चढ़ाने से भक्तों को शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  3. व्रत और उपवास: इस दिन व्रत रखें और फलाहार करें। आप केवल जल, फल और दूध का सेवन कर सकते हैं।
  4. पितरों का तर्पण: इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध का आयोजन भी किया जाता है। इसके लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है।
  5. शिव मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप पूरे दिन करें। यह मंत्र भगवान शिव का सबसे प्रमुख मंत्र है और इसे जपने से मन
  6. की शांति और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा, आप “महा मृत्युंजय मंत्र” का जाप भी कर सकते हैं, जो विशेष रूप से स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए लाभकारी माना जाता है।
  7. शिवलिंग पर अभिषेक का महत्व
  8. श्रावण शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर विभिन्न सामग्रियों से अभिषेक करने का विशेष महत्व है। हर सामग्री का अपना-अपना महत्व और भगवान शिव को प्रसन्न करने की अलग विधि होती है:
  9. पानी का अभिषेक: शुद्ध जल से अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शांति आती है।
  10. दूध का अभिषेक: दूध से अभिषेक करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  11. दही का अभिषेक: दही से अभिषेक करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  12. घी का अभिषेक: घी से अभिषेक करने से यश और कीर्ति में वृद्धि होती है।
  13. शहद का अभिषेक: शहद से अभिषेक करने से व्यक्ति के जीवन में मिठास और सुख-शांति आती है।
  14. गन्ने के रस का अभिषेक: गन्ने के रस से अभिषेक करने से भक्त को विशेष रूप से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  15. बेलपत्र और धतूरा: भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अत्यंत प्रिय होते हैं। इन्हें शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  16. श्रावण शिवरात्रि के विशेष अनुष्ठान
  17. महामृत्युंजय जाप: श्रावण शिवरात्रि के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से रोग, भय और मृत्यु से मुक्ति मिलती है। इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से 108 बार किया जा सकता है।
  18. रुद्राभिषेक: रुद्राभिषेक एक विशेष पूजा होती है जिसमें शिवलिंग पर रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करते हुए जल, दूध और अन्य सामग्रियों से अभिषेक किया जाता है।
  19. लिंगाष्टक स्तोत्र का पाठ: श्रावण शिवरात्रि के दिन लिंगाष्टक स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  20. ब्रम्हचर्य पालन: इस दिन ब्रम्हचर्य का पालन करना शुभ माना जाता है।
  21. दान और सेवा: इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना भी शुभ माना जाता है। यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
  22. श्रावण शिवरात्रि का धार्मिक महत्व
  23. श्रावण शिवरात्रि का धार्मिक महत्व अत्यंत व्यापक है। यह दिन भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन को शिवभक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह दिन उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
  24. पर्यावरणीय दृष्टिकोण
  25. श्रावण मास को हरे-भरे मास के रूप में जाना जाता है, और इस समय वर्षा ऋतु होने के कारण पृथ्वी पर हरियाली का वातावरण बनता है। इस समय में अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए।

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