Ramdev की महिमा: हिंदू-मुस्लिम एकता का आदर्श” 2024
Ramdev Jayanti 2024: बाबा रामदेव की जयंती राजस्थान और गुजरात में मनाई जाती है. आखिर कौन है बाबा रामदेव (Baba ramdev) जिन्हें हिंदूओं के साथ मुस्लिम भी पूजते हैं. जानें बाबा रामदेव के बारे
हिंदी न्यूज़लाइफस्टाइलधर्मRamdev Jayanti 2024: बाबा रामदेव कौन हैं ? जिन्हें हिंदू के साथ मुस्लिम भी पूजते हैं, जानें इतिहास, महत्व
बाबा रामदेव
Ramdev Jayanti 2024: राजस्थान में अनेक ऐसे महापुरूष हुए जिन्होंने मानव देह धारण कर अपने कर्म और तप से यहां के लोक जीवन को आलोकित किया. उनके चरित्र, कर्म और वचनबद्धता से उन्हें जनमानस में लोकदेवता की पदवी मिली और वे जन−जन में पूजे जाने लगे. ऐसे ही लोकदेवताओं में बाबा रामदेव (Baba ramdev) जिनका प्रमुख मंदिर जैसलमेर जिले के रामदेवरा में है, सद्भावना की जीती जागती मिसाल हैं.
बाबा रामदेव का प्राकट्य दिवस 2024 कब ? (Baba Ramdev Jayanti 2024)
5 सितंबर को बाबा रामदेव का प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा. हिन्दू समाज में “बाबा रामदेव” एवं मुस्लिम समाज “रामसा पीर”(Ramsapir) के नाम से पूजे जाते हैं.
कौन है बाबा रामदेव ? (Who is Baba Ramdev)
बाबा रामदेव को कृष्ण भगवान का अवतार माना जाता है. उनकी अवतरण तिथि भाद्र माह के शुक्ल पक्ष द्वितीय को रामदेवरा मेला (Ramdevra mela 2024) 5 सितंबर को शुरू होगा. बाबा रामदेव के प्राकट्य दिवस पर उदया तिथि में रवि योग रहेगा. यह मेला एक महीने से अधिक चलता है.
म्हारो हेलाे सुनो जी रामा पीर, घणी-घणी खम्मा बाबा रामदेव जी ने पिछम धरां स्यूं म्हारा पीर जी पधारिया,
घर अजमल अवतार लियो, खम्मा-खम्मा हो म्हारा रुणिचै रा धनियां
भक्त इस भजन पर झूमते-नाचते हुए रामदेवरा पहुंचते हैं. राजस्थान में पोकरण से क़रीब 12 किलोमीटर दूर रामदेवरा में मध्यकालीन लोक देवता बाबा रामदेव के दर्शन करने आते हैं.
साल में दो बार रामदेवरा में भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है. शुक्ल पक्ष में तथा भादवा और माघ में दूज से लेकर दशमीं तक मेला भरता है. भादवा के महीने में राजस्थान के किसी सड़क मार्ग पर निकल जायें, सफेद रंग की या पचरंगी ध्वजा को हाथ में लेकर सैंकड़ों जत्थे रामदेवरा की ओर जाते नजर आते हैं. इन जत्थों में सभी आयु वर्ग के नौजवान, बुजुर्ग, स्त्री−पुरूष और बच्चे पूरे उत्साह से बिना थके अनवरत चलते रहते हैं.
बाबा रामदेव ने यहां ली थी समाधि
रुणिचा में बाबा ने जिस स्थान पर समाधि ली, उस स्थान पर बीकानेर के राजा गंगासिंह ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया. इस मंदिर में बाबा की समाधि के अलावा उनके परिवार वालों की समाधियां भी स्थित हैं. मंदिर परिसर में बाबा की मुंहबोली बहन डाली बाई की समाधि, डालीबाई का कंगन एवं राम झरोखा भी स्थित हैं.