Masik Durga Ashtami 2024

Masik Durga Ashtami 2024: सावन में कब है मासिक दुर्गा अष्टमी, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय

Durga Ashtami दुर्गाष्टमी 2024: शुभ मुहूर्त और सम्पूर्ण जानकारी

Durga Ashtami दुर्गाष्टमी का महत्व:
दुर्गाष्टमी, जिसे महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार देवी दुर्गा की पूजा और उनके नौ रूपों की आराधना के लिए मनाया जाता है। विशेषकर, नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन को “अष्टमी” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह नवरात्रि के आठवें दिन आता है और “दुर्गा” इसलिए क्योंकि इस दिन विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा होती है।

दुर्गाष्टमी 2024 की तिथियाँ:
दुर्गाष्टमी का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और इसकी तिथियाँ हर साल चंद्र कैलेंडर के अनुसार बदलती रहती हैं। वर्ष 2024 में दुर्गाष्टमी निम्नलिखित तिथियों पर मनाई जाएगी:

  1. चैत्र दुर्गाष्टमी: 14 अप्रैल 2024
  2. आषाढ़ दुर्गाष्टमी: 20 जुलाई 2024
  3. आश्विन दुर्गाष्टमी (महाअष्टमी): 11 अक्टूबर 2024
  4. कार्तिक दुर्गाष्टमी: 17 नवंबर 2024

दुर्गाष्टमी के शुभ मुहूर्त:
शुभ मुहूर्त का चयन किसी भी पूजा या अनुष्ठान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। दुर्गाष्टमी पर पूजा और अनुष्ठान के लिए निम्नलिखित शुभ मुहूर्त का चयन किया जा सकता है:

चैत्र दुर्गाष्टमी (14 अप्रैल 2024)

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 अप्रैल 2024 को रात 09:10 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अप्रैल 2024 को रात 07:35 बजे

आषाढ़ दुर्गाष्टमी (20 जुलाई 2024)

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 19 जुलाई 2024 को सुबह 10:15 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 20 जुलाई 2024 को सुबह 08:45 बजे

आश्विन दुर्गाष्टमी (11 अक्टूबर 2024)

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 10 अक्टूबर 2024 को शाम 05:40 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 11 अक्टूबर 2024 को शाम 04:15 बजे

कार्तिक दुर्गाष्टमी (17 नवंबर 2024)

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 16 नवंबर 2024 को रात 12:20 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 17 नवंबर 2024 को रात 11:05 बजे

दुर्गाष्टमी पूजा विधि:
दुर्गाष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा विशेष विधि से की जाती है। इस दिन उपवास रखा जाता है और पूजा में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है:

  1. कलश स्थापना: सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें।
  2. आसन और चंदन: देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने आसन बिछाएं और चंदन लगाएं।
  3. पूजा सामग्री: धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य (भोग), फल, नारियल, और लाल वस्त्र आदि सामग्री तैयार रखें।
  4. मंत्र और स्तोत्र पाठ: दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
  5. कन्या पूजन: नौ कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं और उपहार दें।

दुर्गाष्टमी के नियम और परंपराएँ:

  1. उपवास: इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है। उपवास रखने से मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है।
  2. कन्या पूजन: नव कन्याओं की पूजा करना अनिवार्य है। यह पूजा माता की विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है।
  3. जागरण: कुछ स्थानों पर दुर्गाष्टमी की रात को जागरण किया जाता है और भजन-कीर्तन किए जाते हैं।

दुर्गाष्टमी के लाभ:
दुर्गाष्टमी पर देवी दुर्गा की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं। यह पूजा न केवल शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्रदान करती है, बल्कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं का समाधान भी करती है। दुर्गाष्टमी के उपवास और पूजा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

दुर्गा अष्टमी के दिन विशेष कार्य

दुर्गा अष्टमी के दिन कुछ विशेष कार्य किए जाते हैं जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है:

  1. कन्या पूजन: दुर्गा अष्टमी के दिन नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है। उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं। यह पूजा देवी के नौ रूपों का सम्मान करने के लिए की जाती है।
  2. संधी पूजा: दुर्गा अष्टमी और नवमी के संधि काल में संधी पूजा की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है और इस दौरान देवी के चामुंडा रूप की अर्चना की जाती है।
  3. कुमारी पूजन: इस दिन कुंवारी कन्याओं का पूजन भी किया जाता है। यह पूजा देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है।

दुर्गा अष्टमी के पर्व का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

दुर्गा अष्टमी का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व समाज में एकता और सौहार्द का संदेश देता है। लोग इस दिन एकत्र होते हैं और सामूहिक रूप से देवी की पूजा करते हैं। दुर्गा पूजा पंडाल सजाए जाते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

दुर्गा अष्टमी के दिन की कहानियाँ और मान्यताएँ

दुर्गा अष्टमी से जुड़ी कई कहानियाँ और मान्यताएँ प्रचलित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कहानियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. महिषासुर का वध: एक प्रमुख कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। यह कथा दुर्गा अष्टमी के पर्व का प्रमुख कारण है।
  2. शक्तिशाली देवी: दुर्गा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की शक्तिशाली रूप में पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी दुर्गा अपने भक्तों की सभी परेशानियों का निवारण करती हैं।
  3. धार्मिक कथा: दुर्गा अष्टमी के दिन से जुड़ी कई धार्मिक कथाएँ भी प्रचलित हैं, जो देवी की महिमा और उनकी शक्तियों का वर्णन करती हैं।

दुर्गा अष्टमी के पर्व से जुड़े अन्य पहलू

दुर्गा अष्टमी के पर्व से जुड़े कई अन्य पहलू भी महत्वपूर्ण हैं, जिनका उल्लेख किया जाना आवश्यक है:

  1. पारिवारिक पर्व: दुर्गा अष्टमी का पर्व पारिवारिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एकत्र होते हैं और देवी की पूजा करते हैं।
  2. समाज सेवा: दुर्गा अष्टमी के दिन कई धार्मिक और समाज सेवा के कार्य भी किए जाते हैं। भंडारे आयोजित किए जाते हैं और गरीबों को भोजन कराया जाता है।
  3. धार्मिक स्थलों की यात्रा: दुर्गा अष्टमी के दिन लोग धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं और वहां विशेष पूजा अर्चना करते हैं।

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