शेयर बाजार में गिरावट एक आम घटना है, जो विभिन्न आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक कारणों से प्रभावित होती है। जब भी बाजार में गिरावट आती है, निवेशकों और विश्लेषकों के बीच इसके पीछे के कारणों को समझने और उन पर चर्चा करने की जरूरत बढ़ जाती है।
भारत समेत दुनियाभर के शेयर मार्केट (Stock Market) में पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को भारी गिरावट आई थी। यह सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। अमेरिका अनिश्चितता और भूराजनीतिक तनाव जैसी वजहों से सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट आई। निवेशकों ने ज्यादातर सेक्टर में बिकवाली की। बड़ी-बड़ी कंपनियों के शेयर ताश के पत्तों की तरह बिखर गए और निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये स्वाहा हो गए।
1. अर्थव्यवस्था की सुस्ती (Economic Slowdown)
अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ने पर शेयर बाजार पर इसका सीधा असर पड़ता है। आर्थिक विकास की दर गिरने पर कंपनियों की लाभप्रदता कम होती है, जिससे उनके शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं। जब जीडीपी की वृद्धि दर कम होती है, तो इसका प्रभाव व्यापक उद्योगों पर पड़ता है और निवेशक डरने लगते हैं, जिससे बाजार में गिरावट आ जाती है।
आर्थिक मंदी कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि:
- घरेलू और वैश्विक मांग में कमी
- सरकार की नीतियों में बदलाव
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान
- प्राकृतिक आपदाएँ जब ऐसी स्थितियाँ पैदा होती हैं, तो निवेशक बाजार से पैसा निकालने लगते हैं, जिससे शेयर की कीमतों में गिरावट होती है।
2. ब्याज दरों में वृद्धि (Rising Interest Rates)
केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि भी शेयर बाजार की गिरावट का एक बड़ा कारण है। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो निवेशकों के लिए शेयरों में निवेश की अपेक्षा बांड और बैंक जमा जैसी सुरक्षित जगहों में निवेश करना अधिक आकर्षक हो जाता है। इसके कारण शेयर बाजार में तरलता कम हो जाती है, जिससे बाजार में गिरावट आती है।
ब्याज दरें बढ़ने पर कंपनियों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाता है, जिससे उनकी विस्तार योजनाएँ प्रभावित होती हैं और उनके मुनाफे में कमी आती है। निवेशक इस स्थिति को देखते हुए अपने शेयर बेचने लगते हैं, जिससे बाजार गिरने लगता है।
3. भूराजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions)
वैश्विक भूराजनीतिक स्थितियाँ शेयर बाजार पर गहरा असर डाल सकती हैं। युद्ध, आतंकवादी हमले, और देशों के बीच व्यापार युद्ध जैसे मुद्दों से निवेशकों में असुरक्षा की भावना पैदा होती है। जब भी कोई बड़ा भूराजनीतिक संकट उत्पन्न होता है, तो निवेशक जोखिम से बचने के लिए अपने शेयर बेचने लगते हैं, जिससे बाजार में गिरावट आ जाती है।
उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव जैसी घटनाएँ अक्सर बाजार को हिला देती हैं। निवेशक ऐसी परिस्थितियों में अपने धन को सुरक्षित संपत्तियों, जैसे कि सोना, में स्थानांतरित करना पसंद करते हैं।
4. महंगाई (Inflation)
महंगाई दर में वृद्धि भी शेयर बाजार के गिरने का एक प्रमुख कारण है। जब महंगाई बढ़ती है, तो लोगों की क्रय शक्ति कम हो जाती है और वे कम खर्च करते हैं। इससे कंपनियों की बिक्री और लाभप्रदता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। महंगाई बढ़ने पर कंपनियों की उत्पादन लागत भी बढ़ती है, जिससे उनके मुनाफे में कमी आती है।
इसके अलावा, जब महंगाई अधिक होती है, तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करके उसे नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं, जिससे बाजार में और अधिक गिरावट आ सकती है।
5. वित्तीय धोखाधड़ी और घोटाले (Financial Frauds and Scandals)
जब कोई बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आता है, तो उससे निवेशकों का विश्वास डगमगा जाता है। जैसे ही किसी कंपनी या उद्योग से जुड़े घोटाले की खबरें सामने आती हैं, निवेशक अपने पैसे निकालने लगते हैं, जिससे संबंधित कंपनियों के शेयरों की कीमतें तेजी से गिरने लगती हैं।
उदाहरण के लिए, भारत में सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज घोटाला और अमेरिका में एनरॉन घोटाला, दोनों ने संबंधित शेयर बाजारों में भारी गिरावट लाई थी। ऐसे घोटाले निवेशकों के विश्वास को ठेस पहुंचाते हैं, और बाजार में अस्थिरता का माहौल बनाते हैं।
6. मंदी (Recession)
मंदी आर्थिक गतिविधियों में दीर्घकालिक गिरावट की स्थिति को दर्शाती है, जो शेयर बाजार के लिए बेहद खतरनाक होती है। जब कोई देश मंदी की चपेट में आता है, तो उससे प्रभावित होने वाली कंपनियों के शेयर तेजी से गिरने लगते हैं। मंदी के दौरान उपभोक्ता खर्च कम हो जाता है, जिससे कंपनियों की आय प्रभावित होती है और उनके शेयर की कीमतों में गिरावट आ जाती है।
मंदी की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
- रोजगार दर में गिरावट होती है
- मांग में भारी कमी आती है
- औद्योगिक उत्पादन घट जाता है
- व्यावसायिक निवेश धीमा हो जाता है जब मंदी की संभावनाएँ बढ़ती हैं, तो निवेशक जोखिम से बचने के लिए शेयर बाजार से पैसा निकालने लगते हैं, जिससे बाजार में बड़ी गिरावट देखी जाती है।
7. अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाएँ (Unexpected Natural Disasters)
प्राकृतिक आपदाएँ जैसे कि भूकंप, सुनामी, बाढ़, और जंगलों में आग, आर्थिक गतिविधियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। जब ऐसी आपदाएँ बड़े पैमाने पर होती हैं, तो इसका प्रभाव सीधे तौर पर शेयर बाजार पर देखा जाता है। उत्पादन ठप हो जाने, बुनियादी ढांचे के क्षतिग्रस्त होने और सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाने से कंपनियों की उत्पादकता और लाभप्रदता पर असर पड़ता है। परिणामस्वरूप, कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आ जाती है।
उदाहरण के लिए, 2011 में जापान में आए भूकंप और सुनामी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और शेयर बाजारों को बुरी तरह प्रभावित किया था। जापान के प्रमुख उद्योगों, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर, को बहुत बड़ा नुकसान हुआ, जिसका असर पूरी दुनिया के बाजारों में देखने को मिला।
8. वैश्विक महामारी (Global Pandemics)
वैश्विक महामारी जैसे कि COVID-19 ने दिखा दिया कि किस तरह से स्वास्थ्य संकट आर्थिक संकट में बदल सकता है। महामारी के समय, सरकारों द्वारा लगाए गए लॉकडाउन