Hartalika Teej हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए एक विशेष पर्व है, जिसे विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाएं बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाती हैं। यह व्रत महिलाओं की पारिवारिक सुख, समृद्धि, और अच्छे वैवाहिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पर्व में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
हरतालिका तीज 2024 पूजा मुहूर्त (Hartalika Teej 2024 Puja Muhurat) हरतालिका तीज के दिन यानी 6 सितंबर को सुबह में पूजा का मुहूर्त 6 बजकर 2 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक है। इसके साथ ही प्रदोष काल यानी शाम के समय भी कई लोग पूजा करते हैं। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद आरंभ होता है।
हरतालिका तीज 2024: तिथि, महत्व और पूजा विधि
Hartalika Teej हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए एक विशेष पर्व है, जिसे विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाएं बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाती हैं। यह व्रत महिलाओं की पारिवारिक सुख, समृद्धि, और अच्छे वैवाहिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पर्व में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
इस लेख में हम हरतालिका तीज 2024 की तिथि, महत्व, और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
Hartalika Teej 2024 की तिथि
हर साल हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। साल 2024 में यह पर्व 29 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
पूजा मुहूर्त:
हरतालिका तीज 2024 के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
- तृतीया तिथि प्रारंभ: 28 अगस्त 2024 को रात 11:50 बजे से
- तृतीया तिथि समाप्त: 29 अगस्त 2024 को रात 08:10 बजे तक
यह दिन महिलाएं पूरी श्रद्धा के साथ अपने पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और इस दिन निर्जल रहकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
Hartalika Teej का महत्व
हरतालिका तीज का महत्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की कथा से जुड़ा हुआ है। इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए किया था। पार्वती जी ने कठोर तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसी कारण हरतालिका तीज का व्रत उन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो अपने पति की दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना करती हैं।
अविवाहित महिलाओं के लिए:
यह व्रत केवल विवाहित महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि अविवाहित लड़कियों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है कि जो अविवाहित लड़कियां इस व्रत को श्रद्धा और नियम से करती हैं, उन्हें भगवान शिव जैसा पति प्राप्त होता है।
Hartalika Teej व्रत कथा
हरतालिका तीज की व्रत कथा भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की कहानी पर आधारित है। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। पार्वती जी ने अपने पिता हिमालय से भगवान शिव से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था। इस निर्णय से नाराज होकर पार्वती जी अपनी सहेली के साथ जंगल में चली गईं और वहां कठिन तपस्या करने लगीं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
पार्वती जी ने जो व्रत किया था, उसे हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत के पीछे यही मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से विवाहित महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है और अविवाहित लड़कियों को योग्य पति की प्राप्ति होती है।
Hartalika Teej व्रत की पूजा विधि
हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठोर होता है क्योंकि इसमें महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और केवल पूजा के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:
1. व्रत का संकल्प:
सुबह स्नान आदि करने के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए उचित स्थान पर मिट्टी, रेत या गोबर से शिवलिंग और पार्वती जी की मूर्ति बनाई जाती है।
2. पूजा सामग्री:
पूजा के लिए महिलाएं निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करती हैं:
- शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र
- बेलपत्र, धतूरा, फल, फूल, दीपक, धूप
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल)
- सिंदूर, कुमकुम, चूड़ियां, मेहंदी
- मिठाई, विशेषकर धान का लड्डू
3. भगवान शिव और पार्वती की पूजा:
पूजा के समय भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र को स्थापित किया जाता है। सबसे पहले उन्हें गंगाजल से स्नान कराया जाता है, फिर पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद उन पर बेलपत्र, धतूरा, फूल और फल चढ़ाए जाते हैं। महिलाएं माता पार्वती को सुहाग सामग्री जैसे चूड़ियां, सिंदूर, मेहंदी, और वस्त्र अर्पित करती हैं।
4. हरतालिका तीज व्रत कथा सुनना:
पूजा के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा सुनना अनिवार्य होता है। इस कथा के माध्यम से महिलाएं माता पार्वती की तपस्या और भगवान शिव के साथ उनके विवाह की कहानी सुनती हैं और उनसे प्रेरणा प्राप्त करती हैं।
5. आरती और भजन:
कथा सुनने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती की जाती है और भजन-कीर्तन गाए जाते हैं। इसके बाद महिलाएं पार्वती जी से अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना करती हैं।
6. व्रत तोड़ने की विधि:
यह व्रत बहुत कठोर होता है और इसे अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में पारण करके तोड़ा जाता है। व्रत तोड़ते समय सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद लिया जाता है और फिर फलाहार किया जाता है।
हरतालिका तीज व्रत के फायदे
हरतालिका तीज का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ भी होते हैं:
- वैवाहिक सुख की प्राप्ति:
इस व्रत को करने से महिलाओं को अपने पति के साथ सुखी और सफल वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। जो महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और सुख की कामना करती हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है। - योग्य पति की प्राप्ति:
अविवाहित लड़कियों के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है। यह माना जाता है कि जो कन्याएं इस व्रत को विधिपूर्वक करती हैं, उन्हें योग्य और अच्छे पति की प्राप्ति होती है। - धार्मिक पुण्य:
यह व्रत करने से महिलाओं को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन्हें धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है। - आत्मविश्वास में वृद्धि:
हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं के आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। व्रत रखने के दौरान कठोर नियमों का पालन करने से धैर्य और सहनशीलता में भी वृद्धि होती है।
हरतालिका तीज के अन्य नाम और स्थान
हरतालिका तीज मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। हरतालिका तीज को कहीं-कहीं ‘हरितालिका तीज’ के नाम से भी जाना जाता है। खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और झारखंड में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। नेपाल में भी इस पर्व को बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।
हरतालिका तीज से जुड़े अन्य अनुष्ठान
हरतालिका तीज के दिन केवल पूजा ही नहीं, बल्कि कुछ और महत्वपूर्ण अनुष्ठान भी किए जाते हैं। महिलाएं इस दिन अपने हाथों में मेहंदी लगवाती हैं और नई चूड़ियां पहनती हैं। वे एक-दूसरे को सिंदूर का तिलक लगाती हैं और सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं। इसके अलावा, कई जगहों पर महिलाएं समूह में मिलकर तीज के गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं।
हरतालिका तीज के दौरान विशेष परंपराएं
हरतालिका तीज के दिन कई विशेष परंपराओं का पालन किया जाता है, जो इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। इन परंपराओं में पूजा-पाठ के अलावा, महिलाओं का साज-श्रृंगार करना और तीज गीत गाना शामिल है। ये परंपराएं महिलाओं के आपसी सौहार्द और उनकी आंतरिक शक्ति को दर्शाती हैं।
1. साज-श्रृंगार और सुहाग सामग्री
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं विशेष रूप से सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है, और यह महिलाओं के सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं नई साड़ी या पारंपरिक परिधान पहनती हैं, हाथों में मेहंदी लगाती हैं, और गहनों से खुद को सजाती हैं। इसके अलावा, वे एक-दूसरे को सुहाग सामग्री जैसे सिंद