Hariyali Amavasya यह पर्व श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार सावन माह की अमावस्या तिथि 03 अगस्त, 2024 को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, इसका समापन 04 अगस्त, 2024 को दोपहर 04 बजकर 42 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सावन की हरियाली अमावस्या रविवार, 04 अगस्त को मनाई जाएगी।
Hariyali Amavasya हरीयाली अमावस्या 2024: सावन में कब है, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हरीयाली अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे मुख्य रूप से भारत के उत्तर और पश्चिमी राज्यों में मनाया जाता है। यह पर्व सावन मास में आता है और इसे हरे-भरे पर्यावरण और हरियाली का प्रतीक माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह नई पौधों को लगाने और वृक्षारोपण का समय होता है। इस लेख में हम 2024 में हरीयाली अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
Hariyali Amavasya हरीयाली अमावस्या 2024 की तिथि
वर्ष 2024 में हरीयाली अमावस्या का पर्व 31 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण में विश्वास रखते हैं।
हरीयाली अमावस्या शुभ मुहूर्त
हरियाली अमावस्या पर पूजा और व्रत करने का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 30 जुलाई 2024, रात्रि 11:56 बजे से
- अमावस्या तिथि समाप्त: 31 जुलाई 2024, रात्रि 11:45 बजे तक
पूजा के लिए विशेषकर प्रातःकाल का समय सबसे उत्तम माना जाता है, जब लोग उगते सूरज की रोशनी में पूजा करते हैं।
हरीयाली अमावस्या का महत्व
हरीयाली अमावस्या को विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है:
- वृक्षारोपण: इस दिन को विशेष रूप से वृक्षारोपण के लिए समर्पित किया जाता है। लोग नए पौधों और वृक्षों को लगाते हैं ताकि पर्यावरण हरा-भरा रहे और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़े।
- भगवान शिव की पूजा: हरीयाली अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाकर भक्त शिवजी की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
- गंगा स्नान और दान: इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। इसके अलावा, लोग गरीबों को दान देते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं।
पूजा विधि
- स्नान और शुद्धिकरण: हरीयाली अमावस्या के दिन प्रातःकाल में स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करें, अन्यथा किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें।
- व्रत और उपवास: इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। आप फलाहार कर सकते हैं या केवल जल का सेवन कर सकते हैं।
- शिवलिंग की पूजा:
- शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और घी चढ़ाएं।
- बेलपत्र, धतूरा, और आंकड़े के फूल चढ़ाएं।
- शिवजी के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमः शिवाय”।
- दीपक जलाएं और शिवजी की आरती करें।
- गंगा जल का महत्व: अगर आपके पास गंगा जल है तो उसे शिवलिंग पर चढ़ाएं, क्योंकि गंगा जल भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है।
- पितरों की पूजा: इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध का आयोजन भी किया जाता है। इसके लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है।
- वृक्षारोपण: पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए इस दिन वृक्षारोपण करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। आप तुलसी, पीपल, नीम, आदि के पौधे लगा सकते हैं।
अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ
- कथा और भजन-कीर्तन: हरीयाली अमावस्या के दिन शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया जाता है। भजन-कीर्तन का आयोजन भी होता है, जिसमें लोग भक्ति गीत गाते हैं और भगवान की आराधना करते हैं।
- मेले और उत्सव: इस दिन कई स्थानों पर मेलों का आयोजन भी होता है, जहां लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं। बच्चों के लिए झूले और अन्य मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध होते हैं।
- रक्षा और आशीर्वाद: इस दिन लोग अपने घरों और दुकानों पर पौधों की रक्षा के लिए झाड़ू लगाते हैं और शुभता की कामना करते हैं।
हरीयाली अमावस्या का धार्मिक महत्व
हरीयाली अमावस्या के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। इसे विशेषकर महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो अपने परिवार की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना के लिए व्रत करती हैं। इस दिन व्रत रखने और शिवजी की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण
आज के समय में जब पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ रही हैं, हरीयाली अमावस्या का पर्व हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करता है। वृक्षारोपण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए और इसे सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।